Saturday, August 10, 2013


पत्थर  

सोता तो हु रोज मैं 
लेकिन कल कुछ ज्यादा ही सोया था 
ख्वाब तो आते है रोज ही 
कल जाने कौनसे ख्वाब में खोया था। 

सपनो में जो देखी  मैंने इंसान की सूरत 
तो कहाँ से मन में खयाल आया 
चेहरे तो दिखते है रोज कई 
लेकिन इंसानियत का चेहरा कही खो गया। 

सपनो में जो देखी  मैंने भगवन की मुरत
तो दिल ने एक बार फिर अपने अन्दर झाँका 
दिल के कोनो में भरी हुई तस्वीर में 
उसने आँखे खोल कर इन्सान का चेहरा देखा। 

सपनो में जो देखे मैंने सोने के पहाड़ 
आसमा की तरफ देख के मैंने खुदसे ही पूछा 
पहाड़ो पे कर दी तूने सोने की बौछार
और इंसान का दिल यूँ पत्थर का बनाया ।।। 





No comments:

Post a Comment