इन्सान था या बस एक ख्वाब था वो
जो हो गया एक सदी पहले यहां
दुसरो के खातीर जान देणे वाले तो देखें है
लेकिन सच के लिए लड़नेवाले कहाँ ?
था जो उसके मन में
छोड़ गया वो इस दुनिया के लिए
न थी उसकी कोई तमन्ना खुद के ख़ातिर
बस चाहत थी की इन्सान की तरह जिए
आज भी उसके नाम से खयाल जाग उठे
करते रहना गुरूर उसके लब्जो पे
रुकना नहीं तलाश में उस प्रभु की
दुनियाँ को शान्ति का सन्देश जो दे
हम आपके साथ है हमेंशा के लिए
यह बापू सुन पाए तो दिल को सुकून
मस्ती में भूल ना जाए उनके अल्फ़ाज़
इस लिए हो सच्चाई का पहरेदार क़ानून
~ शून्य
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